आप अपने जीवन में यह सोच रहे है की राहु को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए, तो आज हम राहु को मजबूत करने के लिए बताए गए रामबाण उपायों के बात करेंगे।
राहु कौन है (हिन्दू शास्त्रों के हिसाब से )
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, स्वरभानु का कटा हुआ सिर एक प्रमुख पहचान होता है। इसे अक्सर एक सर्प के रूप में बिना धड़ के दिखाया जाता है, जो एक रथ पर सवार है और जिसे आठ श्याम वर्ण के कुत्ते द्वारा खींचा जा रहा है। “Rahu graha” एक छाया ग्रह होता है, जो ब्रह्मांड में खगोलीय पिंड के रूप में मौजूद नहीं है। यह सूर्य और चंद्रमा को उनकी स्थितियों के माध्यम से प्रभावित करता है।
अगर पूर्णिमा के समय राहु ( Rahu Astrology ) चंद्र के बिंदु पर रहता है, तो पृथ्वी पर एक छाया छिप जाती है, जिससे चंद्रग्रहण होता है। जीवन में कोई भी अचानक घटित घटना राहु के प्रभाव के कारण हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो आकस्मिकता का नाम राहु है। आइए, हम Rahu Kaal से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके उत्तरों की ओर बढ़ते हैं:
राहु ग्रह मजबूत होने से क्या होता है?
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, राहु एक दोषपूर्ण ग्रह के रूप में माना जाता है। यदि राहु ख़राब हो, तो जीवन की उलझन बढ़ जाती है। राहु के अशुभ प्रभाव के परिणामस्वरूप वैवाहिक जीवन में समस्या आती है , रोजगार में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, व्यापार बंद हो सकता है, और स्वास्थ्य समस्याएँ भी आ सकती हैं।
इस प्रकार की परिस्थितियों में, ज्योतिष विशेषज्ञ से जब यह सवाल पूछा, तो उन्होंने कुछ ऐसे सरल उपाय बताए, जिनसे न केवल राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि उससे सकारात्मक परिणामों को प्राप्त किया जा सकता है।
राहु दोष के प्रतीक ( Rahu Effects in hindi )
चलिए जानते हैं राहु दोष के लक्षण :
- व्यक्ति झूठ अधिक बोलने लगते हैं,
- नशे के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है,
- नैतिक जिम्मेदारियों से दूर रहने की आदत होती है,
- आत्म-आत्मविश्वास की कमी होती है,
- धोखाधड़ी करने की भावना बढ़ जाती है,
- राहु वायु तत्व के प्रतीक के रूप में पेट से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देता है,
- वाणी की मधुरता खो जाती है और इसकी असमान बदलाव हो सकती है,
- बदनामी बढ़ सकती है और मान-सम्मान में कमी आ सकती है,
- मानसिक तनाव की स्थिति बनी रह सकती है,
- आत्मसंयम खोने की स्थिति बन सकती है।
राहु के शुभ प्रभाव ( Rahu Benefits in hindi )
- वाणी में मधुरता आती है,
- शुभ राहु की स्थिति में सेहत अच्छी रहती है,
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की क्षमता होती है,
- बुरी परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति होती है,
- मान-सम्मान में वृद्धि होती है,
- नौकरी या व्यवसाय में, खासकर राजनीति में सफलता प्राप्त हो सकती है,
- भाग्य के साथ-साथ हर कदम पर सहायता मिलती है,
- आर्थिक उन्नति साधने में मदद कर सकता है,
- मानसिक स्थिरता और चिंतामुक्त रहने में सहायक होता है,
- जिम्मेदारियों का पूरा करने की क्षमता देता है।
राहु को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए
- राहु को कुश करने के लिए पक्षियों को , जैसे कि चिड़िया, काले कौवे, और कबूतर आदि, को सात विभिन्न प्रकार के अनाजों से बने खाद्य सामग्री को दे।
- राहु को मजबूत करने के लिए घर में स्टील के बर्तनों पर धूल का जमाव नहीं होने दें। इन बर्तनों को स्वच्छता और सफाई के साथ-साथ सुरक्षित स्थान पर रखें।
- राहु को मजबूत करने के लिए घर के उत्तर-पश्चिम कोण में एक लाल रंग का झंडा लगाएं। इससे आप राहु की क्रियाशीलता को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- राहु की प्राकृतिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए हर अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सूर्यास्त के समय या रात्रि के 12 बजे एक दीपक जलाएं।
- राहु को मजबूत करने के लिए 41 दिनों तक एक रुपये के सिक्के को लाल कपड़े में लपेटकर किसी गरीब को दान करें।
- राहु को मजबूत करने के लिए आप घर में एक राहु यंत्र स्थापित करें और रोज़ाना राहु मंत्रों का जाप करें।
- राहु को मजबूत करने के लिए आप लाल कपड़े में गोमेद को धारण कर सकते हैं, जो आपके गले या बाजू पर आवश्यक है।
- राहु को मजबूत करने के लिए आप वैदिक मंत्रों के जाप के साथ-साथ अपने इष्ट देव के नाम की हवन कर सकते हैं।
- राहु को मजबूत करने के लिए आप राहु स्तोत्र या राहु कवच का पाठ कर सकते हैं।
- राहु को मजबूत करने के लिए आप काले कुत्तों को खाना देने के लिए काले कुत्ते (सौभाग्य के लिए काले कुत्ते) को रोज़ाना रोटी दें।
- राहु को मजबूत करने के लिए काले कपड़े में काले तिल रखकर किसी शांत जगह पर जलाने की प्रक्रिया का अनुसरण करें।
- राहु को मजबूत करने के लिए संभवत: आप राहु मंदिर में जाकर अनुष्ठान कर सकते हैं और रोज़ाना 108 बार राहु के नाम का जाप कर सकते हैं।
राहु को मजबूत करने के लिए रत्न
राहु की प्राकृतिक शक्ति को बढ़ाने के लिए, रत्नों का अध्ययन करने वाले रत्न शास्त्र के अनुसार गोमेद रत्न एक सहायक उपाय हो सकता है, जो राहु के अशुभ प्रभावों को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही, लाजवर्त रत्न भी राहु के लिए शुभ माना जाता है। इस रत्न का आभा गहरे नीले रंग का होता है और इसके भीतर हल्के नीले रंग की धारियां दिखाई देती हैं। इस रत्न को धारण करने से, न केवल राहु, बल्कि शनि और केतु ग्रह भी मजबूत हो सकते हैं।
कैसे हुई राहु की उत्पत्ति
हिरण्यकश्यप ( hiranyakashyap ) की पुत्री सिंहिका का विवाह विप्रचिति से हुआ था। हालांकि कुछ कहानियों में सिंहिका को महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी दनु की पुत्री माना गया है। साथ ही हिरण्यकश्यप की एक बहन भी बताई जाती है। सिंहिका और विप्रचिति के संग एक बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली पुत्र हुआ जिसका नाम स्वरभानु या राहु रखा गया था।
समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के समय अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ। अमृत प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और असुरों को मोहित करके उन्हें वश में किया। हालांकि, राहु ने देवताओं की यह चाल समझ ली और वह बैठकर सूर्य और चंद्रमा के बीच अमृत प्राप्ति के लिए खड़ा हो गया।
जब भगवान विष्णु ने राहु को अमृत पिलाने का प्रयास किया, तब सूर्य और चंद्रमा ने इसे पहचान लिया। उन्होंने तुरंत सुदर्शन चक्र से राहु के सिर को काट दिया, जिससे उसका सिर अलग हो गया। इसी घटना के कारण राहु का सिर “राहु” और उसका शरीर “केतु” कहलाता है।
मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा ने राहु (राहु) को सर्प का शरीर दिया था और Ketu को सर्प का सिर दिया था। सूर्य और चंद्रमा ने उनकी पहचान कर उनके बीच में बैठकर अमृत प्राप्ति की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने उनकी धोखाधड़ी की पहचान ली थी। इससे राहु और केतु दोनों ही सूर्य और चंद्रमा की शत्रुता को दर्शाते हुए ग्रहण लगा |
FAQ’S
1. राहु के आराध्य देव कौन है?
Ans. राहु की देवी माता सरस्वती जी को मान्यता प्राप्त है। जब राहु शुभ स्थिति में प्राप्त होता है, तो व्यक्ति के अंदर साहित्यकार, दार्शनिक और रहस्यपूर्ण विद्याओं के गुण प्रकट होने लगते हैं। इन क्षेत्रों में फिर व्यक्ति की उन्नति होती है और वह काफी तरक्की करता है।
2. राहु के कौन से ग्रह शत्रु और मित्र हैं?
Ans. राहु के शत्रु शनि और केतु माने जाते हैं। राहु के मित्र बृहस्पति और चंद्रमा माने जाते हैं।
3. राहु का क्या प्रभाव होता है?
Ans. राहु का व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, आदतों, और व्यवहार पर गहरा प्रभाव होता है।